लगेगा महंगाई का झटका

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भू-राजनीतिक तनाव की वजह से अर्थव्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। महंगाई का झटका जिंसों और वित्तीय बाजारों में कमी और अस्थिरता के हालात और गंभीर होते जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई के बीच अब भारतीय रिजर्व बैंक ने आम आदमी को एक और तगड़ा झटका दिया है। आरबीआई ने दो वर्ष की लंबी अवधि के बाद रेपो रेट बढ़ाने की घोषणा की है।रेपो रेट 4 प्रतिशत से बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है। कहा जा रहा है कि मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। हालात की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि यह पहला मौका है, जब मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बुलाई गई एमपीसी की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया। इससे बैंकों के पास एक झटके में 87,000 करोड़ रुपये की नगदी घटेगी। सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है।
रिजर्व बैंक यह पैसा इसलिए रखता है ताकि कभी किसी बैंक से भारी तादाद में ग्राहक पैसे निकालने लगें तो बैंक पैसा चुकाने से मना न कर सके। नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव बरकरार है। लगातार बढ़ती महंगाई चिंताजनक है।

यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई और ग्रोथ का अनुमान बदला है। हालांकि दास ने कहा कि तमाम उभरती चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने में पहले से बेहतर स्थिति में है। फिर भी दीर्घकालीन आर्थिक वृद्धि के हित में मुद्रास्फीति को काबू में रखना जरूरी है।

रेपो रेट वो ब्याज दर होती है जिस पर अन्य बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं और फिर इस कर्ज के अंतर्गत ही बैंक अपनी लोन की ब्याज दरें तय करते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के इस फैसले से आम आदमी पर क्या असर पड़ने वाला है। रेपो रेट बढ़ाने का असर बैंकों के करोड़ों ग्राहकों पर पड़ेगा। केंद्रीय बैंक की तरफ से रेपो रेट बढ़ाने से बैंक ग्राहकों को दिया जाने वाला कर्ज महंगा कर देंगे। ब्याज दर बढ़ने का असर आम आदमी की ईएमआई यानी कर्ज महंगा हो जाएगा और अब कर्ज लेने वालों की मुश्किलें पहले से अधिक बढ़ जाएंगी।

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