सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार निचले स्तर पर: कीमतों पर नियंत्रण रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती

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चालू माह में सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक छह साल के निचले स्तर पर आ गया है। स्टॉक कम होने और मांग बढ़ने से इस साल गेहूं के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। सरकार के पास स्टॉक कम होने से गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है। आम तौर पर, जब खुले बाजार में कृषि वस्तुओं की कीमतें बढ़ने लगती हैं, तो सरकार अपने आरक्षित स्टॉक से माल को बाजार में छोड़ देती है।

एक दिसंबर 2021 तक सरकारी गोदामों में गेहूं का कुल स्टॉक 3.78 करोड़ टन था जो चालू वर्ष के दिसंबर की शुरुआत में 1.90 करोड़ टन था। 2016 के बाद से गेहूं का मौजूदा स्टॉक अपने सबसे निचले स्तर पर है।

2014 और 2015 में भीषण सूखे के कारण 2016 में सरकारी गोदामों में 1.65 करोड़ गेहूं का स्टॉक था। उस समय सूखे के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ था।

गेहूं की नई फसल को बाजार तक पहुंचने में अभी चार महीने और लगेंगे। चालू रवी सीजन में किसान अधिक गेहूं लगा रहे हैं, लेकिन चिंता है कि अनिश्चित मौसम के कारण उत्पादन प्रभावित होगा।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि मौजूदा कम स्टॉक को ध्यान में रखते हुए सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए हर महीने बीस लाख टन से अधिक गेहूं बाजार में जारी नहीं कर सकती है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में सरकारी गोदामों से बीस लाख टन गेहूं छोड़ा गया। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, 2021 रबी सीजन की फसल की कम उपज के कारण सरकार को चालू वर्ष के मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत से गेहूँ की मांग तेजी से बढ़ी। मई माह से अब तक गेहूं के भाव 30 प्रतिशत बढ़कर 26785 रुपये प्रति टन हो गए हैं।

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