नहाते समय हुई ये गलतियां आपको खतरे में डाल सकती है, कैसे ? देखें अभी
नियमित स्नान निर्विवाद रूप से सेहत के अनुकूल माना जाता है। परन्तु जिस प्रकार से खान पान और व्यायाम की असावधानी कष्ट पहुंचा सकती है उसी प्रकार बेतरतीब नहाना भी भारी पड सकता है। यदि हम अपनी त्वचा की संरचना और जैविक क्रियाओं को समझ लें तो स्नान को एक सार्थक परिप्रेक्ष्य में देख सकते हैं।
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मानवीय चमड़ी शरीर का सर्वाधिक विस्तृत भाग है जो वातावरण के सीधे संपर्क में होता है। वाह्य तापमान से शरीर का स्थायी तापमान प्रभावित न हो इस बात का दारोमदार मुख्य रूप से त्वचा पर ही है। इसकी वाह्य कोशिकाएं जीर्ण-शीर्ण होकर स्वत:ही शरीर से विमुक्त होती रहती हैं एवं नई-नई स्वस्थ कोशिकाएं निचली सतह से सतत् बन कर ऊपर आती रहती हैं । पसीना और तेल अपनी विशिष्ट ग्रंथियों से निकल कर त्वचा को नमी एवं चिकनाहट प्रदान करते हैं।
स्नान से अपेक्षा की जाती है कि वह त्वचा की स्वाभाविक क्रियाओं को सुगम बनाए, उत्प्रेरित करे; यदि नहीँ तो कम से कम उन्हें बाधित ना करे। अतः नहाते समय निम्नलिखित गलतियाँ कदापि न करें।
1: शुरुआत सर पर पानी डालना। ऐसा करने से तापमान परिवर्तन का
अतिरेक रक्तचाप एवं ह्रदय की धड़कन बढ़ा देगा। पैरों से शुरू होकर आखिर में ही सर को तर करें।
2: कोइ भी साबुन चलेगा रवैया। साबुन आपकी विशिष्ट त्वचा के अनुकूल हो,
जो त्वचा की चिकनाई को अक्षुण्ण बनाए रखे।
3: बालों में साबुन लगाना। बालों में केवल उपयुक्त शैम्पू का ही प्रयोग करें।
4: अधिक ठंडा या अधिक गर्म पानी का प्रयोग। पानी का तापमान शरीर के तापमान के लगभग बराबर हो।
5: भोजन के तुरंत बाद नहाना। ऐसा करने से भोजन की पाचन क्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
6: रुग्ण अवस्था में नियमित रूप से न नहा कर मन: स्थिति के अनुसार ही स्नान करें।
ना नहाने की स्थिति में त्वचा का धूप एवं शुद्ध वायु से संसर्ग सुनिश्चित करें।