माता सीता के अभिशाप से आज भी पीड़ित हैं ये 4 लोग, आप भी जानें
रामायण एक विशाल धर्मग्रन्थ है | इसमें कई ऐसी घटनाओं का वर्णन है जिसके बारे में हममे से बहुत कम लोगों को मालूम होता है | आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें माता सीता ने 4 लोगों को श्राप दिया था, जिसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है|
वनवास के दौरान भगवान राम और लक्ष्मण भोजन की व्यवस्था के लिए कुटिया से बाहर गये | तभी माता सीता के पास राजा दशरथ की आत्मा प्रकट हुई और उन्हें पिंडदान के लिए कुछ भोग लगाने को कहा | चूंकि घर में कुछ भी खाने को नहीं था इसीलिए माँ सीता ने राजा दशरथ से कहा कि राम और लक्ष्मण भोजन की व्यवस्था कर आते ही होंगे, कृपया आप थोड़ी प्रतीक्षा करे लें | राजा दशरथ ने कहा कि नदी के किनारे पड़ी मिट्टी से ही यदि तुम भोग लगा दो तो भी मैं संतुष्ट हो जाऊंगा |
माँ सीता गया में स्थित फल्कू नदी के तट पर जाकर राजा दशरथ के लिए भोग तैयार किया | इस घटना के गवाह स्वयंनदी, एक गाय, एक वट वृक्ष, तुलसी का पौधा और एक ब्राह्मण बने जो उस समय वहाँ मौजूद थे | जब राम और लक्ष्मण वापस लौटे तो माँ सीता ने उन्हें बताया कि उन्होंने पिंडदान पहले से ही कर दिया है और इसके सत्यापन के लिए उन्होंने वहाँ मौजूद सभी लोगों से बतलाने को कहा | इसपर केवल वट वृक्ष को छोड़कर सभी ने झूठ बोला |
इसके बाद राजा दशरथ की आत्मा नमे स्वयं आकर इस बात का सत्यापन किया कि सीता ने उनका पिंडदान कर दिया है | माँ सीता ने वहाँ मौजूद सभी साक्षी को श्राप दिया | उन्होंने नदी को श्राप दिया कि गया में वह पृथ्वी के नीचे ही बहेगी, तुलसी को श्राप दिया कि गया में कोई भी अपने घर में तुलसी का पौधा नहीं लगेगा, गाय को श्राप दिया कि उनकी पूजा तो होगी लेकिन उन्हें जूठा खाने को मिलेगा और ब्राह्मण को श्राप दिया कि गया के ब्राह्मण कभी संतुष्ट नहीं होंगे | वट वृक्ष की सत्यता के लिए उन्होंने कहा कि गया में जो भी कोई पिंडदान करने आएगा उसको वट वृक्ष की पूजा अवश्य करनी होगी नहीं तो पिंडदान पूर्ण नहीं माना जाएगा |