खत्म होगी अलग चार्जर की समस्या, टाइप-सी पोर्ट के लिए BIS ने जारी किया क्वालिटी स्टैंडर्ड

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इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में केवल दो प्रकार के चार्जिंग पोर्ट प्रदान करने के बारे में लंबे समय से बहस चल रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव – रोहित सिंह ने इस मुद्दे पर एक बड़ी घोषणा की। भारत की मोबाइल बनाने वाली प्रौद्योगिकी कंपनी मार्च 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए यूएसबी टाइप-सी को स्टैंड-अलोन चार्जिंग पोर्ट के रूप में अपनाने के लिए तैयार है। यानी विज्ञापन के बाद हर मोबाइल के लिए लगभग एक जैसा चार्जर होगा।

सिंह ने कहा कि आईआईटी कानपुर में पहनने योग्य डिवाइस में एक ही तरह के चार्जिंग पोर्ट को लेकर अध्ययन किया जा रहा है। इस मुद्दे पर रिपोर्ट आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक उद्योग के मुद्दे पर चर्चा होगी। कंपनी का मानना ​​है कि भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन को ग्लोबल टाइमलाइन से जोड़ने की कोशिश करनी है। इसे यूरोपीय संघ में लागू होने के तीन महीने बाद भारत में लागू किया जा सकता है।

यूरोपीय संघ के शासनादेश के अनुसार, 28 दिसंबर 2024 तक स्मार्टफोन के लिए और 2026 से लैपटॉप के लिए सामान्य यूएसबी टाइप-सी चार्जर अनिवार्य हैं।

इससे ई-कचरा कम करने में मदद मिलेगी

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सिंगल चार्जर पॉलिसी काफी फायदेमंद हो सकती है। उपभोक्ताओं को अलग-अलग चार्जर खरीदने पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा और एक ही चार्जर यह काम कर देगा। इसके अलावा ई-कचरे में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। ई-कचरा या इलेक्ट्रॉनिक कचरा आमतौर पर इलेक्ट्रॉनिक सामान कहा जाता है, जिसे हम इस्तेमाल के बाद फेंक देते हैं।

16 नवंबर को हितधारकों के साथ हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी थी कि कॉमन चार्जिंग पोर्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। दुनिया भर में 98 प्रतिशत से अधिक एंड्रॉइड स्मार्टफोन चार्जिंग पोर्ट के रूप में यूएसबी टाइप-सी का उपयोग करते हैं। जबकि आईफोन में चार्जिंग के लिए लाइटनिंग पोर्ट दिया गया है।

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