साईं बाबा भगवान नहीं बन सकते-आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का वीडियो हुआ वायरल, कहा-लोमड़ी की खाल पहनने से शेर नहीं बन जाता
बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों और चमत्कारों को लेकर काफी चर्चा में रहते हैं। लोग उनकी बातों पर खूब रिएक्ट करते हैं। इस समय आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह साईं बाबा पर कमेंट कर रहे हैं। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने साईं बाबा के बारे में स्पष्ट रूप से कहा है कि वे संत हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने साईं बाबा के बारे में क्या कहा?
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा है कि कोई संत बन सकता है, कोई फकीर बन सकता है, लेकिन कोई भगवान नहीं बन सकता। उनकी पूजा करने पर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वह विवाद के कारण बोलना नहीं चाहते लेकिन यह भी बोलना जरूरी है कि लोमड़ी की खाल पहनकर कोई शेर नहीं बन सकता। अगर हम शंकराचार्य की तरह सेट हो जाएं, तो क्या हम शंकराचार्य बन जाएंगे? हो नहीं सकता, संत तो संत हैं और भगवान ही भगवान हैं।
गीदड़ की खाल पहनकर कोई शेर नहीं बन सकता। साईं बाबा भगवान नहीं हैं: पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री।@bageshwardham #Sai #BageshwarDhamSarkar pic.twitter.com/Y3GZt9HxfG
— Gaurav Agrawal (@GauravAgrawaal) April 2, 2023
घर वापसी हमारा अभियान है – आचार्य धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि हमें जो भी आस्था हो वह रखनी चाहिए। हमारे शंकराचार्य कहते हैं कि साईं बाबा भगवान नहीं हैं। यदि कोई वैदिक धर्म में आ रहा है तो यह घर वापसी का हमारा अभियान है। धीरेंद्र शास्त्री का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोग इस पर कमेंट कर रहे हैं.
यूजर @jeetusp ने लिखा कि साईं बाबा ने कभी नहीं कहा कि वो भगवान हैं, हम उनके भक्त उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं, मतलब हम उन्हें भगवान मानते हैं. @AdvocateDhera यूजर ने लिखा कि देश में अब एक ही बात बची है कि कौन भगवान है और कौन नहीं क्योंकि एक बेरोजगार आदमी क्या करे, वह इन सभी कार्यों को बैठकर समझेगा। एक यूजर ने लिखा कि साईं बाबाजी ने कभी नहीं कहा कि वह भगवान हैं और उनकी पूजा की जानी चाहिए, हम जैसे उनके भक्त ही उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं यानी उन्हें भगवान मानकर उनकी पूजा करते हैं. हमारी आस्था से खिलवाड़ करने वाले धीरेंद्र शास्त्री कौन हैं, उन्हें यह अधिकार किसने दिया?