R K Krishnakumar: रतन टाटा के बेहद करीबी का निधन, सालों तक साथ काम किया, बोले- आपको भूल नहीं सकते

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R K Krishnakumar: टाटा समूह के दिग्गज और टाटा संस के पूर्व निदेशक आरके कृष्णकुमार का रविवार, 1 जनवरी, 2023 को मुंबई में निधन हो गया। कृष्णकुमार सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट में शामिल थे। पद्मश्री से सम्मानित कृष्ण कुमार 84 साल के थे। रविवार को मुंबई में अपने घर पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कृष्णकुमार ने टाटा समूह के कई अधिग्रहणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कृष्णकुमार को भारतीय व्यापार और उद्योग में उनके योगदान के लिए 2009 में भारत सरकार द्वारा चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

R K Krishnakumar: रतन टाटा ने जताया दुख

रतन टाटा ने आरके कृष्णकुमार के निधन पर दुख जताते हुए कहा- ‘मेरे दोस्त और सहयोगी आरके कृष्णकुमार के निधन से मुझे जो नुकसान हुआ है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. एक समूह के रूप में और व्यक्तिगत रूप से हमारे द्वारा साझा किए गए सौहार्द को मैं हमेशा याद रखूंगा। वह टाटा समूह और टाटा ट्रस्ट के सच्चे दिग्गज थे। सभी को उनकी कमी खलेगी।

रतन टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भी कृष्णकुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया। कृष्णकुमार टाटा समूह में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने टाटा समूह के ‘इंडियन होटल्स’ के प्रमुख के रूप में भी काम किया।

कृष्णकुमार 1963 में टाटा प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए। 1965 में, उन्हें Tata Global Beverages में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे तब Tata Finlay के नाम से जाना जाता था। उन्होंने Tata T की री-ब्रांडिंग के लिए काम किया।

कुमार 1997 से 2002 तक इंडियन होटल्स कंपनी के प्रमुख थे। इसके बाद उन्हें समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया। एक साल बाद, वह बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए और इंडियन होटल्स कंपनी में वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में लौट आए। कृष्णकुमार 2007 तक टाटा समूह के साथ रहे। टाटा समूह से सेवानिवृत्त होने के बाद भी, कृष्णकुमार टाटा संस के नियंत्रक शेयरधारक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी के रूप में बने रहे।

करियर का टर्निंग प्वाइंट
कहा जाता है कि कृष्णकुमार के करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 1982 में आया, जब वे टाटा कंज्यूमर में वरिष्ठ प्रबंधन टीम का हिस्सा बने। इसके बाद उनके और रतन टाटा के बीच सीधी बातचीत शुरू हो गई। 1997 में असम संकट के दौरान जब टाटा कंज्यूमर्स के कुछ कर्मचारियों को आतंकवादी समूह उल्फा ने बंधक बना लिया था। इस बीच, कृष्ण कुमार रतन टाटा के आंतरिक घेरे का हिस्सा बन गए।

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