प्रदोष व्रत: सुख-संपत्ति के लिए बुध प्रदोष व्रत पर करें यह खास उपाय, मिलेगी शिवजी की विशेष कृपा

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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की तृतीया को रखा जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। व्यापार में सफलता से समृद्धि की प्राप्ति के लिए उन्नति चाहने वाले को प्रदोष व्रत करना चाहिए। धन की कमी से छुटकारा मिलने के साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को प्रदोष व्रत आ रहा है. प्रदोष व्रत बुधवार को होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और ये है पूजा की सही विधि.

व्यापार में लाभ के लिए करें यह उपाय

अगर आप चाहते हैं कि आपके व्यापार में लगातार लाभ और हर चीज में सफलता मिले तो प्रदोष व्रत के दिन शिव मंदिर के बाहर 5 रंगों की रंगोली बनाएं और बीच-बीच में घी का दीपक जलाएं। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा करते हुए उनसे अपनी मनोकामना प्रार्थना के रूप में कहें।

घर में सुख-समृद्धि के लिए

अगर आप घर में सुख-शांति चाहते हैं तो प्रदोष व्रत के दिन दूध और चावल का दान करें। ऐसा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

पैसों की तंगी से छुटकारा

यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हो रही हो तो प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ बेल पत्र चढ़ाएं। यह आपके लिए बहुत धन लाएगा। शिवजी की असीम कृपा उतरेगी।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए

प्रदोष व्रत के दिन मौली या कलावा लेकर माता पार्वती और शिवजी को सात बार लपेट लें.. फिर अपने हाथ से धागा तोड़ लें. ऐसा करने से दांपत्य जीवन हमेशा सुखी रहेगा।

प्रदोष व्रत 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 16 मई को रात 11.36 बजे
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त: 17 मई को रात 10 बजकर 28 मिनट पर
तिथि- उदया तिथि के अनुसार 17 मई को बुध प्रदोष व्रत करना है.
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त- 17 मई शाम 7:06 बजे से रात 9:10 बजे तक
आयुष्मान योग: 16 मई रात 11 बजकर 15 मिनट से 17 मई रात 9 बजकर 17 मिनट तक

ज्येष्ठ मास में बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सारे काम धोकर तैयार हो जाएं। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव का ध्यान करते हुए ध्यान का संकल्प लें। किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक या दूधाभिषेक करें। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन शाम को भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।

प्रदोष व्रत में संध्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। प्रदोष व्रत में शाम के समय शिवजी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इसलिए शाम के समय नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा शुरू करें। गाय के दूध, घी, गंगाजल, दही, शहद, शक्कर आदि से महादेव का अभिषेक करें। इसके बाद फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, बिल्वपत्र, भस्म, अक्षत, अकड़ा फूल, जानोई से धूप करें। फिर प्रदोष व्रत कथा का पाठ शिव मंत्र चालीसा के साथ करें। अंत में विधिपूर्वक आरती करें और भगवान शिव की पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें।

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