जलगांव मस्जिद में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध के आदेश पर रोक, 1 अगस्त पर होगी सुनवाई

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बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने महाराष्ट्र के जलगांव मस्जिद में मुसलमानों के प्रवेश और नमाज पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी. हिंदू पक्ष की शिकायत के आधार पर जलगांव के जिला कलेक्टर ने मस्जिद में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी. हिंदू पक्ष का दावा है कि स्मारक की संरचना मंदिर जैसी है.

हिंदू पक्ष पांडव संघर्ष समिति की शिकायत पर जिला कलेक्टर ने 11 जुलाई को यह आदेश दिया. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्षकार जुमा मस्जिद ट्रस्ट की ओर से इसके अध्यक्ष अल्ताफ खान ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि आदेश पक्षपातपूर्ण है और इसलिए इस पर रोक लगायी जानी चाहिए.

 

कलेक्टर के आदेश के खिलाफ दायर की याचिका

याचिका में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह इमारत 1861 की है और इसे एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार या पुरातत्व विभाग की ओर से कभी कोई आपत्ति नहीं जतायी गयी. याचिका में यह भी कहा गया कि कलेक्टर के समक्ष सुनवाई के दौरान ट्रस्ट को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. ट्रस्ट ने कलेक्टर के आदेश को पक्षपातपूर्ण और अवैध बताया है. याचिकाकर्ता ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है.

कोर्ट में ट्रस्ट की ओर से एसएस काजी और कलेक्टर की ओर से लोक अभियोजक डीआर काले उपस्थित हुए. डॉ। काले ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह अंतिम फैसला नहीं, अंतरिम फैसला है. अंतिम फैसले से पहले विस्तृत सुनवाई की जाएगी. जस्टिस आरएम जोशी की एकलपीठ ने कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया।

 

क्या है हिंदू पार्टी का दावा?

याचिका में कहा गया है कि एर्नाडोल तालुक में पांडव संघर्ष समिति ने मई में कलेक्टर से शिकायत की थी, जिसमें दावा किया गया था कि स्मारक की संरचना एक मंदिर जैसी है और इसलिए मुस्लिम समुदाय का कब्जा खाली किया जाना चाहिए। समिति ने स्मारक के निर्माण को अवैध बताया और इसे ध्वस्त करने तथा यहां चल रहे मदरसे को बंद करने की मांग की।

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