भगवान गणेश का वाहन मूषक ही नहीं, मोर और सिंह भी हैं गणेश दादा के वाहन
पूरे देश और अब विदेशों में गणपति उत्सव की धूम है। जब गणपति दादा की पूजा-अर्चना का त्योहार चल रहा हो तो हर कोई गणपति दादा के बारे में ऐसी दिलचस्प कहानियां सुनना चाहता है। मूषक नामक चूहे को सभी लोग गणपति दादा के वाहन के रूप में जानते हैं। लेकिन गणपति दादा के वाहन मोर और शेर भी हैं।
इस संबंध में गणेश पुराण के क्रीड़ाखंड में उल्लेख है कि प्रसिद्ध ज्योतिषी चेतनभाई पटेल ने गणेश पुराण की रोचक कथाएं सुनाते हुए बताया कि शास्त्रों और पुराणों में भगवान गणेश के वाहन सिंह, मयूर और मूषक का भी उल्लेख किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि कलियुग में गणेश जी के अवतार के बाद सतयुग का आरंभ होगा।
आपको बता दें कि बहुत कम लोग जानते हैं कि गणेश जी हर युग में जब अवतरित होते हैं तो उनका स्वरूप और वाहन अलग-अलग होता है। इस कलियुग में भी गणेश जी अवतार लेने जा रहे हैं।
सतयुग में गणेश जी का वाहन सिंह था। वह दस भुजाओं वाले, तेजस्वी रूप वाले और भक्तों को वरदान देने वाले थे। इसलिए सतयुग में उनका नाम विनायक था। त्रेता युग में गणपतिजी का वाहन मयूर था, वे श्वेत वर्ण और छह भुजाओं वाले थे। और तीनों लोकों में वे मयूरेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हैं।
द्वापर युग में भगवान गणेश का वाहन मूषक था। उनका वर्ण लाल और चार भुजाओं वाला था और वे गजानन के नाम से प्रसिद्ध थे।
पुराणों के अनुसार कलियुग में उनका रंग काला होगा और उनकी दो भुजाएं होंगी। उनका वाहन घोड़ा होगा और उनका नाम धूमकेतु होगा। अवतारों के साथ कलियुग से अवतार लेने होंगे और उनके अवतारों के बाद कलियुग समाप्त हो जाएगा और सतयुग फिर से पृथ्वी पर आएगा।