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मुंबई, सरकारी आश्रम स्कूलों में बीमारी से 5 साल में 282 आदिवासी छात्रों की मौत, इनमें 150 लड़कियां और 132 लड़के शामिल

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यह दर्ज है कि फरवरी 2017 से जून 2022 तक पांच साल की अवधि के दौरान राज्य के आदिवासी आयुक्त कार्यालय के तहत सरकारी आश्रमशालाओं में विभिन्न बीमारियों के कारण 282 (41.53 प्रतिशत) छात्रों की मौत हुई है। इनमें 150 लड़कियां और 132 लड़के हैं। राज्य सरकार के नासिक स्थित आदिवासी विकास आयुक्तालय से यह जानकारी मिली है। इसमें आंतों के रोग, कैंसर, लीवर फेलियर, सांस के रोग, डायरिया, दौरे, तपेदिक, रक्ताल्पता, सिकल सेल, बड़ी आंत के रोग आदि शामिल हैं।

इस संबंध में मुंबई की एक स्वयंसेवी संस्था के एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जराचिकित्सा संस्था को दी गई जानकारी के अनुसार उक्त अवधि के दौरान 99 छात्रों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है, जिनमें 52 लड़के और 47 लड़कियां शामिल हैं. मरने वाले छात्रों की कुल संख्या की तुलना में आकस्मिक रूप से मरने वाले छात्रों का अनुपात 14.58 प्रतिशत है। हादसे में 57 छात्रों की जान चली गई है, जिनमें 45 लड़के और 12 लड़कियां शामिल हैं। मृत छात्रों की कुल संख्या की तुलना में यह अनुपात 8.39 प्रतिशत है।

गला दबा कर जान गंवाने वाले छात्रों की संख्या 46 है. जो कुल मरने वालों की संख्या का 6.77 प्रतिशत के बराबर है। सर्पदंश से 23 लड़कों और 22 लड़कियों सहित कुल 45 छात्रों की मौत हो चुकी है। जबकि 23 लड़के और 16 लड़कियां नदियों, झीलों और कुओं में डूबे पाए गए, कुल 39 छात्रों की मौत हुई, जो मरने वालों की कुल संख्या का 5.74 प्रतिशत है। जिससे पता चलता है कि राजकीय आश्रमशाला में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य की उपेक्षा बच्चे व अन्य संबंधित कर रहे हैं. ऐसे में गंभीर बीमारी के चलते बच्चे मौत के कगार पर पहुंच जाते हैं।

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