Muharram 2023: मुहर्रम के दिन क्यों मनाया जाता है मातम? जानिए क्या है कर्बला की लड़ाई और आशूरा की कहानी
आज मुहर्रम का दसवां दिन है. मुहर्रम के 10वें दिन को यौम-ए-आशुरा कहा जाता है. आशूरा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग शोक मनाते हैं। इसके अलावा इस दिन ताजिया और जुलूस निकाले जाते हैं जिसमें लोग इमाम हुसैन और उनके साथ शहीद हुए लोगों को याद करते हुए खुद को घायल भी करते हैं। ताजिया हजरत इमाम हुसैन की कब्र का प्रतीक है। आपको बता दें कि मुहर्रम के महीने में मुहम्मद साहब के पोते हजरत इमाम हुसैन कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए थे.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, 1400 साल पहले इराक के कर्बला में कर्बला की लड़ाई में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे। युद्ध में इमाम हुसैन और उनके परिवार के छोटे बच्चे भूख और प्यास से मर गये। इसीलिए मुहर्रम में सबील लगाया जाता है, पानी पिलाया जाता है, भूखों को खाना खिलाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इमाम हुसैन ने कर्बला की लड़ाई में मानवता की रक्षा की थी, इसलिए मुहर्रम को मानवता का महीना माना जाता है। मुहर्रम इमाम हुसैन की शहादत और बलिदान की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया और जुलूस निकाले जाते हैं।
गौरतलब है कि मुहर्रम का महीना 20 जुलाई से शुरू हो गया है. इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत मुहर्रम से होती है। मुहर्रम के दिन ही इमाम हुसैन को शहीद किया गया था, इसलिए इस महीने में खुशियां नहीं मनाई जातीं। मुहर्रम के दौरान मुसलमान हर तरह की चमक-दमक से दूर रहते हैं. शिया और कुछ इलाकों में सुन्नी मुसलमान शोक मनाते हैं और इमाम हुसैन की शहादत पर शोक मनाने के लिए जुलूस निकालते हैं।