सस्ते दामों पर मिलेंगी दवाएं, सरकार ने बनाया नया प्लान, देशभर के 743 जिलों को शामिल किया
सरकार ने शनिवार को कहा कि वह मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने की योजना बना रही है। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण दवाएं सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में पीएमबीजेपी के माध्यम से लगभग 18,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है। सरकार ने देश भर के 766 जिलों में से 743 को कवर करते हुए 9,000 से अधिक केंद्रों का संचालन किया है।
पीएमबीजेके में ऐसी दवाएं बेची जाती हैं, जिनकी कीमत ब्रांडेड दवाओं से 50 फीसदी से 90 फीसदी कम होती है। इन केंद्रों पर 1,759 दवाएं और 280 सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने नवंबर 2008 में इन केंद्रों की शुरुआत की और पीएमबीजेपी ने दिसंबर 2017 में 3,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य हासिल किया। मार्च 2020 में इन केंद्रों की संख्या बढ़कर 6,000 हो गई।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में केंद्रों की संख्या 8,610 से बढ़कर अब 9,000 हो गई है। सरकार ने देश भर के 766 जिलों में से 743 को कवर करते हुए 9,000 से अधिक केंद्रों के साथ पीएमबीजेपी की पहुंच का विस्तार किया है। बयान में आगे कहा गया है कि सरकार का लक्ष्य मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करना है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में जन औषधि केन्द्रों द्वारा 893.56 करोड़ रुपये मूल्य की दवाएं और चिकित्सा उपकरण बेचे गए। इस तरह इसने देशवासियों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 5,300 करोड़ रुपये बचाने में मदद की।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (पीएमबीजेपी) सभी को रियायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अस्तित्व में आई थी। यह योजना नवंबर 2008 में फार्मास्यूटिकल्स विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। कम कीमत पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए इस योजना के तहत जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। पीएमबीजेपी को देश की गरीब आबादी और मध्यम वर्ग को सस्ती कीमत पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने में बड़ी सफलता मिली है।