मकर संक्रांति 2023, उत्तरायण आने वाले वर्षों में 14 की वजह 15 जनवरी को मनाई जाएगी यह अंतर क्यों है? जाने

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मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह त्योहार देश में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। यह इकलौता ऐसा पर्व है जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. कभी-कभी यह पर्व 12 जनवरी को भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व की तिथि में क्यों है अंतर और अगली बार कब मनाया जाएगा यह पर्व, जानिए

मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है?

धर्म शास्त्रों के अनुसार जब भी सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकरसंक्रांति कहते हैं। सूर्य का यह राशि परिवर्तन 14 जनवरी को ही होता है इसलिए इस दिन यह पर्व मनाया जाता है। पूर्व में एक समय सूर्य का राशि परिवर्तन 12-13 जनवरी को हुआ था और भविष्य में यह 15 जनवरी को होगा।

मकर संक्रांति कभी 12-13 जनवरी को मनाई जाती थी

उज्जैन के ज्योतिष पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार 1900 से 1965 के बीच मकर संक्रांति का पर्व 13 जनवरी को लगभग 25 बार मनाया गया। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को मकर संक्रांति के दिन हुआ था। 20वीं सदी में मकर संक्रांति 13-14 जनवरी, वर्तमान में 14 जनवरी और कभी-कभी 15 जनवरी को पड़ती है। 21वीं सदी के अंत तक सूर्य की गति में आंशिक परिवर्तन के कारण मकर संक्रांति 15-16 जनवरी को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति की तिथि में क्यों होता है अंतर?

ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य हर महीने अपनी राशि बदलते हैं। राशि की गणना 30 अंश में की जाती है। सूर्य 24 घंटे में एक डिग्री देशांतर पूरा करता है। संक्रांति की गति में अंतर के कारण 71-72 वर्षों में एक डिग्री देशांतर का अंतर होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार एक साल 365 दिन और छह घंटे का होता है। ऐसे में हर चौथा साल लीप ईयर भी होता है। चौथे साल अतिरिक्त छह घंटे जोड़कर यह एक दिन हो जाता है। इसी वजह से मकर संक्रांति हर चौथे साल एक दिन बाद यानी 15 जनवरी को मनाई जाती है। सूर्य का आगमन प्रत्येक वर्ष 30 मिनट बाद होता है, अर्थात इसकी गति में अंतर होता है, जिसके कारण सूर्य हर तीसरे वर्ष एक घंटे की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह अंतर 72 साल में एक दिन का हो जाता है।

इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी

2023, 2024, 2028, 2032, 2036, 2040, 2044, 2047, 2048, 2052, 2055, 2056, 2059, 2060, 2063, 2064, 2067, 2068, 2071, 2072, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080, 2080 2084, 2086, 2087, 2088, 2090, 2091, 2092, 2094, 2095, 2099 और 2100।

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