इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने कोरोना टेस्टिंग के एक नए तरीके को दे दी मंजूरी
नई दिल्ली, 29 मई 2021, शनिवार, नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा परीक्षण की एक नई विधि की खोज की गई है। संस्थान की टीमों को भी देश भर की प्रयोगशालाओं में इस तरह के परीक्षण करने की अनुमति दी गई है। इस पद्धति के अनुसार, जिस रोगी को परीक्षण की आवश्यकता होती है, उसे खारे पानी से धोकर एक सामान्य संग्रह ट्यूब में थूकना पड़ता है। फिर नमूने को प्रयोगशाला में कमरे के तापमान पर बफर समाधान में रखा जाता है। यह समाधान राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। जब इसे गर्म किया जाता है, तो इसमें एक आरएनए टेम्प्लेट बनता है। फिर इसे आरटी पीसीआर के लिए प्रोसेस किया जाता है।
राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, नई प्रणाली काफी सस्ती है और लोग स्वयं इसका परीक्षण कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पद्धति में स्व-परीक्षण की अनुमति है। इससे लोगों को कलेक्शन सेंटर पर लाइन नहीं लगानी पड़ेगी और समय की भी बचत होगी। लैब के बाहर लाइन में न खड़े होने से संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
दूसरी ओर नाक और गले से स्वाब लेने में अधिक समय लगता है और कुछ रोगियों को इस विधि में असुविधा भी होती है। नल के पानी से धोने के बाद भी परीक्षण में समय नहीं लगता है। यह विधि उन ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है जहां परीक्षण के बुनियादी ढांचे की कमी है।