बजट में कागज और पेपरबोर्ड पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25% किया जाए, गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कड़े नियम बनाए जाएं
व्यापार: कागज की विभिन्न श्रेणियों के आयात पर उचित सुरक्षा, एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग शुल्क तुरंत लगाया जाना चाहिए। यह विशेष रूप से व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिश के तुरंत बाद किया जाना चाहिए।
घरेलू कागज और पेपरबोर्ड विनिर्माताओं ने आगामी आम बजट में कागज उत्पादों पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत तक बढ़ाने और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए सख्त नियम बनाने की मांग की थी।
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने सोमवार को एक बयान में यह मांग करते हुए कहा कि सस्ते आयात को हतोत्साहित करना जरूरी है। एसोसिएशन ने कहा कि उसने बजट से पहले अपने ज्ञापन में सरकार से कागज और पेपरबोर्ड आयात पर मूल सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है। आईपीएमए ने कहा कि इन उत्पादों पर भारत की डब्ल्यूटीओ सीमा शुल्क दर 40 प्रतिशत है। ज्ञापन में भारतीय उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और देश में घटिया उत्पादों के आयात को रोकने के लिए कागज की विभिन्न श्रेणियों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जारी करने का भी आह्वान किया गया।
एंटी डंपिंग ड्यूटी जल्द लगाई जाए
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने सरकार से मौजूदा एफटीए (आसियान, दक्षिण कोरिया और जापान) की समीक्षा और नए एफटीए का मसौदा तैयार करते समय कागज और पेपरबोर्ड को नकारात्मक सूची में रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क में किसी भी बढ़ोतरी से एफटीए के तहत देश में आने वाले शुल्क मुक्त आयात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कागज की विभिन्न श्रेणियों के आयात पर उचित सुरक्षा, एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग शुल्क तुरंत लगाया जाना चाहिए। यह विशेष रूप से व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिश के तुरंत बाद किया जाना चाहिए।
इलेक्ट्रॉनिक सामान पर आयात शुल्क कम न करें
सरकार को अगले बजट में स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर आयात शुल्क कम नहीं करना चाहिए क्योंकि मौजूदा शुल्क संरचना अब तक सफल साबित हुई है और इसे बदलने से घरेलू उत्पादन को नुकसान हो सकता है। जीटीआरआई की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। आर्थिक अनुसंधान संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, मौजूदा दरों को बनाए रखने से उद्योग के विकास और भारत के बढ़ते स्मार्टफोन बाजार में दीर्घकालिक विकास को संतुलित करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्तमान में, भारत में आयातित स्मार्टफोन घटकों पर शुल्क 7.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच है।” बजट में इस टैक्स को यथावत रखा जाना चाहिए। बजट में स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क में कोई कटौती नहीं की जानी चाहिए। वित्त मंत्री सीतारमण 1 फरवरी को 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी।