इस दिन रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार जून में पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को है। ऐसे में इसे गुरु प्रदोष कहते हैं। गुरुवार को प्रदोष होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
पंचाग के अनुसार जेठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार, 1 जून को गुरु प्रदोष व्रत रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में प्रदोष काल होता है। जिसमें पूजा करना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल वह समय होता है जब कैलाश पर्वत पर डमरू बजाते हुए महादेव प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
जेठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 1 जून दोपहर 1 बजकर 39 मिनट
त्रयोदशी तिथि समाप्त: शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार कलयुग में प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव तुरंत प्रसन्न होते हैं। और साधक को मनोवांछित फल प्रदान करता है। परिवार में धन की कमी नहीं होती है। व्रत करने वाले परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ, सन्तुष्ट और नित्य उन्नति के पथ पर अग्रसर रहते हैं।
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रात:काल में स्नान कर स्वयं को शुद्ध कर लेते हैं। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान का स्मरण करें और मन्नतें लेकर पूजा का संकल्प लें। शाम की पूजा के दौरान भोलेनाथ महादेवजी को बेल पत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि अर्पित करें। उसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और शिवजी की आरती उतारें। अगले दिन सूर्योदय के बाद पालना ग्रहण कर व्रत का समापन किया जाएगा।