12 से 21 साल की लड़कियां तेजी से बन रही हैं इस बीमारी का शिकार, भारत में 55 फीसदी महिलाएं हैं शिकार

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महिलाओं से जुड़े एक अध्ययन में महिलाओं से जुड़े कुछ चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। बात यह है कि इस अध्ययन की मानें तो 12 से 21 साल की लड़कियों और महिलाओं में आर्यन की कमी की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक अकेले अमेरिका जैसे देश में 40 फीसदी महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ये नतीजे 12 से 21 साल की उम्र के बीच की लगभग 3,500 लड़कियों और महिलाओं पर अध्ययन के बाद आए। श्वेत लड़कियों या महिलाओं की तुलना में काली लड़कियों या महिलाओं में आयरन की कमी या एनीमिया होने की संभावना चार गुना अधिक थी।

भारतीय महिलाओं की स्थिति क्या है?

आर्यन डेफिशिएंसी एनीमिया का खतरा सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि भारतीय महिलाओं में भी बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-(III) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आधी से ज्यादा यानी करीब 55 फीसदी महिलाओं को एनीमिया का खतरा हो सकता है. एक अध्ययन के अनुसार एनीमिया की समस्या पूर्वी, मध्य और उत्तर पूर्वी राज्यों में रहने वाली महिलाओं में अधिक आम है।

इस बीमारी का कारण क्या है?

आर्यन डेफिशिएंसी एनीमिया के जोखिम कारकों में खराब आर्थिक स्थिति, पौष्टिक भोजन की कमी, ग्रामीण परिवेश में महिलाओं पर अधिक बच्चे पैदा करने का दबाव और महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी लापरवाही शामिल है जो इस जोखिम को बढ़ा रही है।

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

विशेषज्ञों के मुताबिक एनीमिया का सबसे बड़ा कारण आयरन की कमी है। खासतौर पर पीरियड्स के दौरान खून की कमी और उसके अनुसार पौष्टिक भोजन की कमी के कारण यह कमी और भी बढ़ जाती है। आयरन के स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त भोजन का सेवन आवश्यक है। शोध के मुताबिक जो महिलाएं सिर्फ शाकाहारी खाना खाती हैं उनमें एनीमिया का खतरा अधिक होता है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि हर साल ब्लड टेस्ट और आयरन टेस्ट कराना भी जरूरी है. जिससे समय रहते आयरन की कमी का पता लगाया जा सके।

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