पठानकोट एयरबेस हमले के आठ साल: 65 घंटे तक चला ऑपरेशन 7 जवान शहीद हुए

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2016 में पंजाब के पठानकोट स्थित एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ था. यह हमला भी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने किया था. इस घटना को जैश के छह आतंकियों ने अंजाम दिया. करीब 65 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में देश के 7 जवान शहीद हो गए.

ऐसे हुआ हमला

पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकी दिसंबर 2015 में पाकिस्तान से भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे. 2 जनवरी 2016 को सुबह साढ़े तीन बजे हथियारों से लैस आतंकी एयरबेस स्टेशन में घुस आए. हमले में एयरबेस के अंदर मौजूद सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए, जबकि 37 अन्य घायल हो गए। हमला करने आए सभी आतंकी मारे गए. इस आतंकी हमले के मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ की भी पिछले साल अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड मारा गया

11 अक्टूबर 2023 को पाकिस्तान के पंजाब में अज्ञात हमलावरों ने भारत के मोस्ट वांटेड शाहिद लतीफ की हत्या कर दी. इस हमले में लतीफ़ के दो साथी भी मारे गए. बताया जाता है कि 11 अक्टूबर की सुबह शाहिद लतीफ ने मस्जिद में नमाज पढ़ी और अपने साथियों के साथ मस्जिद से बाहर निकले. शाहिद जैसे ही मस्जिद से बाहर निकला, इसी बीच बाइक सवार लोगों ने उसे देखते ही फायरिंग शुरू कर दी. इसी दौरान शाहिद लतीफ की मौत हो गई.

कौन था आतंकी शाहिद लतीफ?

भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला का रहने वाला था और उसका जन्म 1970 में हुआ था। शाहिद के पिता का नाम अब्दुल लतीफ था, उनका परिवार मरकज अब्दुल्ला बिन मुबारक, दस्ता तालुक, सियालकोट जिले का निवासी था।

शाहिद लतीफ़ पर चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद में शामिल होने का आरोप था और भारत द्वारा पठानकोट हमले की जांच की जा रही थी. लतीफ़ ने पाकिस्तान स्थित चार जैश आतंकवादियों के साथ समन्वय किया और उन्हें वायु सेना अड्डे पर हमला करने के लिए पठानकोट भेजा।

भारत ने शाहिद लतीफ़ को बाहर कर दिया

शाहिद लतीफ ने 1993 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी। हालाँकि, एक साल बाद 1994 में उन्हें यूएपीए के तहत आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ़्तारी के बाद शाहिद को आतंकवादी मसूद अज़हर के साथ 16 साल तक जम्मू की कोट बलवल जेल में कैद रखा गया था। हालांकि, साल 2010 में भारत ने उसे 24 अन्य आतंकियों के साथ रिहा कर दिया था.

आतंकियों को क्यों छोड़ा गया?

24 दिसंबर 1999 को आतंकवादियों ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से नई दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी 814 का अपहरण कर लिया था। इसमें हरकत उल मुजाहिदीन के आतंकी शामिल थे. अपहरण के वक्त इस विमान में 176 यात्रियों समेत कुल 15 क्रू मेंबर्स मौजूद थे।

आतंकवादियों ने अपहृत विमान को कंधार हवाई अड्डे पर उतारा और अपने 26 आतंकवादी साथियों की रिहाई और 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती मांगी। 25 पाकिस्तानी आतंकियों की सूची में शाहिद लतीफ भी शामिल था.

शाहिद लतीफ के भारत छोड़ने के 6 साल बाद 2 जनवरी 2016 को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने पठानकोट में वायुसेना एयरबेस पर हमला कर दिया। लगभग चार दिनों तक चली गोलीबारी में सात सुरक्षाकर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई। मुठभेड़ में चार हमलावर भी मारे गये.

एक दिन बाद 3 जनवरी को आईईडी विस्फोट के बाद एयरबेस पर एक और सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई। हमले की जांच में पता चला कि हमलावर आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का था. इसके बाद मार्च में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पठानकोट आतंकी हमले की जांच अपने हाथ में ले ली

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