चाणक्य निति: आचार्य चाणक्य के निति के अनुसार इन जगहों पर घर बनाना जरूरी नहीं है, नहीं तो पूरा स्थान नष्ट हो जाएगा

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भारतीय इतिहास में चाणक्य को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है। उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। अगर आपने इसे नहीं रखा तो दिन-रात चिंता आपको घेरे रहेगी और सुधार में बाधाएं आएंगी।

चाणक्य अपने श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि –
चाणक्य का श्लोक ‘शर्म से डरकर प्रजा की यात्रा दक्षिणयांग त्याग, पंच यत्र न विद्यांदे न कुर्यात्रा प्रतीतम् ल’
*आचार्य चाणक्य ने कहा था, “कभी भी ऐसी जगह पर घर न बनाएं जहां से आप खुद खाना न कमा सकें। ऐसी जगह पर घर बनाएं जहां से आप अपना गुजारा कर सकें।”
* कभी भी ऐसी जगह पर न रहें जहां शर्मिंदगी का डर न हो। इसलिए ऐसी जगह पर रहें जहां सामाजिक समझ हो
* घर ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए जहां परोपकारी लोग रहते हों जिनमें त्याग की भावना हो
*ऐसी जगह पर बनाया जाए जहां कानून का डर न हो यानी उस जगह पर किसी गलत काम करने वाले का कब्जा न हो.
*चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार ऐसे स्थान पर घर बनाना शुभ होता है जहां दिन-रात भगवान की घंटी की आवाज आती हो, इससे जीवन सुखमय रहता है।
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