बजट का इतिहास : 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पहले की तैयारी के महीने, सरकार को राजस्व कहां से मिलता है और वह कैसे खर्च करती है
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी। मोदी सरकार के लिए यह बजट काफी अहम होगा, क्योंकि अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है. बजट पेश करने की तारीख 1 फरवरी तय की गई है, हालांकि बजट की तैयारी कई महीने पहले से शुरू हो जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सरकार को आमदनी कहां से होती है और कहां खर्च होती है?
बजट क्या है?
भारत के पूर्ण संविधान में कहीं भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरणों का इस प्रकार उल्लेख है। एक बजट आम बोलचाल में 1 वर्ष के लिए एक वित्तीय खाता है। बजट पेश करने से पहले एक आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है। बजट में अनुमान लगाया गया है कि प्रत्यक्ष करों, अप्रत्यक्ष करों और विभिन्न मंत्रालयों से सरकार को कितनी कमाई होगी। सर्वेक्षण में अगले साल सरकार के अनुमानित खर्च का भी निर्धारण किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो एक बजट में एक वर्ष के लिए अनुमानित राजस्व (आय) और व्यय (अनुमानित व्यय) का विवरण होता है। वित्त मंत्री अपने भाषण में उसी राजस्व और व्यय का विवरण प्रस्तुत करता है, जिसे आम बजट या केंद्रीय बजट कहा जाता है। बजट की अवधि एक वर्ष है।
भारत में बजट कौन तैयार करता है?
भारत में बजट तैयार करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। बजट बनाने में वित्त मंत्रालय के अलावा नीति आयोग और व्यय मंत्रालय भी शामिल हैं। वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों के अनुरोध के अनुसार व्यय प्रस्ताव तैयार करता है। बजट तब वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है।
बजट शब्द कहां से आया है?
बजट शब्द फ्रेंच भाषा से आया है, जिसका अर्थ होता है चमड़े का थैला। ऐसा माना जाता है कि सरकार और व्यवसायी अपने आय-व्यय के दस्तावेज चमड़े के थैले में रखते हैं, इसलिए वित्त मंत्री भी चमड़े के थैले में अपने दस्तावेज लेकर संसद पहुंचते हैं। ब्रिटेन में इस शब्द का प्रयोग होता रहा, जो भारत पहुंचा।
बजट के प्रकार
आम बजट
प्रदर्शन बजट
शून्य आधारित बजट
परिणाम बजट