Bakrid 2021: बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरों की कुर्बानी, क्या कहता है इस्लाम
Bakrid 2021: इस्लाम में बकरीद के दिन कुर्बानी का बेहद खास महत्व होता है। इस दिन कुर्बानी करना हजरत इब्राहिम की सुन्नत के रूप में माना जाता है।
इस्लाम धर्म में एक साल दो ईद मनाई जाती है। पहिला, ईद-उल-फित्र तो दूसरा ईद-उल-जुहा के नाम जाना जाता है। ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।
बकरीद की संभावित तारीख
इस्लाम का हिजरी संवत् चांद पर आधारित है, इसलिए किसी भी तारीख का ऐलान चांद के हिसाब से ही होता है। इस साल बकरीद 20 या 21 जुलाई यानी मंगलवार या बुधवार के दिन पड़ेगी। ये संभावित तारीख हैं क्योंकि सही तारीख का ऐलान ईद-उल-जुहा का चांद दिखने के बाद ही किया जाएगा।
ईद का त्योहार प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। तो बकरीद अपने कर्तव्य को निभाने का और अल्लाह के प्रति अपने विश्वास को कायम रखने का पर्व माना जाता है।
बकरीद कुर्बानी का दिन भी कहा जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस्लाम में कुर्बानी करना हजरत इब्राहिम की सुन्नत के रूप में माना जाता है।
बकरी-ईद पर बकरे की कुर्बानी देने का कारण: बकरों की कुर्बानी देना अल्लाह द्वारा मुसलमानों के लिए वाजिब माना गया है। कुर्बानी देने के पीछे इस्लाम में एक कहानी छुपी हुई है, जिसमें अल्लाह द्वारा हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अपनी सबसे अजीज चीज की कुर्बानी देने का आदेश दिया गया था।
अल्लाह का हुक्म: उस वक्त हजरत इब्राहिम की उम्र 80 साल थी। उस समय वह पिता बने थे। उनके लिए उनके बेटे से अजीज चीज दूसरी और कोई चीज नहीं थी। उनका बेटा उनके लिए सबकुछ था। लेकिन इस खुशी की घड़ी में अल्लाह का एक आदेश आया। यह आदेश उनके लिए एक इम्तिहान जैसा था। लेकिन ऐसे में भी उन्होंने अल्लाह के हुक्म को माना और बेटे को अल्लाह की रजा के लिए कुर्बान करने को राजी हो गए।
अल्लाह का चमत्कार: यह काम खुले आंखों से करना उनके लिये नामुमकिन था। इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधी और बेटे की गर्दन पर छुरी चलाने लगे। इसी वक्त अल्लाह ने चमत्कार किया। बेटे की जगह एक बकरे को उसने बदल दिया। अल्लाह ताला इब्राहिम के इस बात से प्रभावित हुए। उनको उनका बेटा सही सलामत वापस मिल गया। ऐसे में बकरीद के दिन कुर्बानी करना जरूरी हो गया।