अमित शाह दिल्ली में दिया एनडीए के नेताओं को भोज, नीतीश ने दिखाए अपने तेवर
लोकसभा चुनाव 2019 की वोटिंग खत्म होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली में दिया एनडीए में शामिल दलों के नेताओं को भोज, इस भोज में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हुए शामिल.
लेकिन दिल्ली रवाना होने से पहले नीतीश ने दिखाया बड़ा ही अजीब तेवर, नीतीश ने धारा 370, समान नागरिक संहिता व राम मंदिर के सवाल पर भाजपा को दे दी चेतावनी, लेकिन राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ बोलने से कर दिया साफ तौर पर इंकार, संवाददाताओं से बात करते हुए नीतीश ने जिस तरह बिहार को विशेष राज्य दर्जा का मुद्दा उठाया, उससे राजनीतिक गलियारे में यह कयास लगाई जाने लगी है कि अगर 23 मई को चुनाव परिणाम एग्जिट पोल के विपरीत आया तो क्या नीतीश कुमार फिर से बदल सकते हैं अपना पाला…
21 मई को पटना के बिहार संग्रहालय में हिम्मत शाह की कलाकृतियों को देखने के बाद नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से जमकर बातें की। उन्होंने कहा कि विवादित पर हमारा पुराना स्टैंड कायम है। हम धारा 370, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर के मुद्दे पर अपनी नीतियों के साथ कोई समझौता नहीं करने वाले। हम तो पहले से ही कहते रहे हैं कि धारा 370 हटाने की बात नहीं होनी चाहिए। और ना ही कॉमन सिविल कोड को थोपने की बात होनी चाहिए। अयोध्या मसले का समाधान आपसी सहमति या कोर्ट के आदेश से ही होना चाहिए। वर्ष 1996 में जब पहली बार हमलोगों की पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन हुआ उस समय ही इन मसलों पर हमारा स्टैंड क्लियर है। इससे छेड़छाड़ हमें बर्दाश्त नहीं है।
मुख्यमंत्री से जब तेजस्वी यादव द्वारा मतदान नहीं करने के मुद्दे पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मतदान तो जरूर करना चाहिए। लेकिन उन्होंने (तेजस्वी) वोट क्यों नहीं डाला, यह उनका व्यक्तिगत मुद्दा है। हम किसी पर व्यक्तिगत राय नहीं देते हैं। हम लगातार कहते रहे कि पहले मतदान फिर जलपान। मैंने खुद सुबह में मतदान केंद्र पर जाकर पहले वोट डाला, फिर घर लौट कर जलपान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार को विशेष दर्जा दिया जाना चाहिए। पन्द्रहवें वित्त आयोग के सामने हमलोगों ने पूरी मजबूती और तर्कसंगत तरीके से अपनी बात रखी। अभी पन्द्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह वोट देने पटना आए हुए थे। व्यक्तिगत संबंध के तौर पर हमने उस दिन भी उन्हें यह बात याद दिलाई है। हमलोगों की राय स्पष्ट है कि बिहार जैसे राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, इसके लिए 2006 से निरंतर हमलोग अपनी बात उठाते रहे हैं और आगे भी प्रयास करते रहेंगे।