भगवान को नहीं मानने वाले भगत सिंह ने मौत के आखिरी पलों में कही थी ये खास बात
परसों शहीद भगत सिंह का जन्मदिन है, आज हम आपको भगत सिंह के बारे में बताने वाले हैं, कि भगवान को नहीं मानने वाले भगत सिंह ने मौत के आखिरी पलों में कही थी यह खास बातें, तो चलिए जानते हैं, उन खास बातों के बारे में।
भगत सिंह के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, वकील प्राणनाथ के अनुसार भगत सिंह को जब फांसी दी जा रही थी। उस दिन उस से 2 मिनट पहले प्राणनाथ भगत सिंह से मिलने के लिए पहुंचे थे, तो वहां का नजारा देखा की जेल की काल कोठरी में बंद भगत सिंह एक शेर की तरह पूरी जेल में चक्कर लगा रहे थे।
वकील प्राणनाथ भगत सिंह मेहता को देखते ही पूछा कि आप मेरी किताब रिवोल्यूशनरी लेनिन साथ लाए हैं या नहीं जैसे ही मेहता ने यह गीता भगत सिंह को दी, तब वह उसे उसी क्षण पढ़ने लग गए। जैसे कि उनके पास अब क्षणिक समय बचा हो। मेहता ने पूछा कि देश के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे, तब भगत सिंह ने किताब पढ़ते हुए कहा इंकलाब जिंदाबाद साम्राज्यवाद।
भगत सिंह की फांसी की अगर बात करें, तो भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन उन्हें 23 मार्च 1931 की शाम को फांसी दे दी गई। भगत सिंह ने कहा कि आप पंडित नेहरू और सुभाष चंद्र बोस को मेरा धन्यवाद देना, जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि दिखाई थी।
भगत सिंह की फांसी की चंद मिनटों पहले ब्रिटिश अधिकारी से कहा कि क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी खत्म नहीं करने देंगे। जब भगत सिंह फांसी के तख्ते के सामने खड़े थे, तो भगत जी से ईश्वर को याद करने के लिए कहा गया था, तो उन्होंने कहा कि मैं जिंदगी भर कभी ईश्वर को याद नहीं किया।
भगत सिंह कहते हैं, कि गरीबों के लिए मैंने हमेशा ईश्वर को ही पूछा है। अगर मैं उनसे माफी भी मांगो, तो वह कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक तो कहीं दुनिया में नहीं देखा मौत को नजदीक आते देख मुझसे माफी मांगने आया है।