इतिहास का दूसरा सिकंदर जिसने अपने चाचा की हत्या करके राजगद्दी प्राप्त की थी
भारत के इतिहास में कई ऐसे महान विभूति हुए जिनको हराना कोई सामान्य कार्य नहीं था लेकिन हिंदुस्तान के राजाओं की सबसे बड़ी कमज़ोरी आपसी दुश्मनी और यह बात विदेशी राजा भलीभाँति जानते थे कि यदि हिंदुस्तान पर राज करना है तो दोनों पक्षों के कूट नीति को अमल में ला दो, यही वजह रही कि भारत देश पर अंग्रेज कई वर्षों तक राज कर गए।
लेकिन हिंदुस्तान में अंग्रेजों से पहले भी कई विदेशी राजाओं ने आक्रमण करना चाहा परन्तु महान शासकों के सामने उन विदेशियों की एक नहीं चल पायी थी साल 1296 में अलाउद्दीन खिलजी नाम का सुल्तान हुआ जिसको दुनिया का दूसरा सिकंदर भी कहा जाता है क्योंकि खिलजी ने भी सिकंदर महान की तरह पूरी दुनिया में अपना झंडा लहराना चाहा।
खिलजी से पहले दिल्ली का शासन उनके चाचा जलालुद्दीन संभालते थे लेकिन खिलजी चाहते थे कि पूरे राज्य की बागडोर उन्हीं के हाथों में हो, लेकिन ऐसा नहीं होने पर खिलजी ने 22 अक्टूबर 1296 को अपने चाचा की हत्या धोखे से करवा ली थी और खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित करवा दिया था। खिलजी का साम्राज्य भी सिकंदर की भांति अफगानिस्तान से लेकर उत्तर भारत में फैल चुका था।
इसके बाद खिलजी एक के बाद एक भारत के राज्यों पर विजय प्राप्त करता गया जिसने गुजरात, जैसलमेर, रणथम्भौर शामिल थे सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि खिलजी की नज़र मेवाड़ पर पड़ी क्योंकि भारत का सबसे सुरक्षित स्थान बना हुआ था। इतिहास कारों का मानना है कि खिलजी रानी पद्मिनी के सौंदर्य को देख मोहित हो गया था इसलिए उसने मेवाड़ के राजा रतन सिंह पर आक्रमण किया जो काफी लंबे समय तक चला था।
मेवाड़ के राणा ने कभी खिलजी से हार नहीं मानी थी परंतु कई समय तक युद्ध चलने के कारण राज्य में अन्न समाप्त हो गया था जिसकी वजह से रतन सिंह की सेना युद्ध में शहीद हो गयी और रानी पद्मावती सहित सभी स्त्रियों ने जौहर (सती होना) कर दिया था, इस तरह खिलजी राज्य को जितने के बाद हार गया था, लेकिन कहते है कि कुदरत के नियम से कोई नहीं बच सकता ऐसे ही अलाउद्दीन खिलजी 2 जनवरी 1318 जलोदर रोग से ग्रसित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गया था।
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