1करोड़ रुपए में क्यों बिकती है ये छिपकली, जानिए इसका अनदेखा पूरा राज तो आइये जानते है !
कड़ाके की ठंड पड़ रही है पूरा देश ठंड की चपेट में है इस सीजन में कई जानवर है जो बिल्कुल भी दिखाई नहीं देते उनमे से एक है छिपकली क्या आपने कभी सोचा है की सर्दियों में छिपकलियां कहा चली जाती है कोई भी जैविक हार्मोन 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तक ही सही ढंग से काम करता है।
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इसलिए सभी स्तनधारियों का तापमान हमेशा निश्चित रहता है ताकि उपापचय क्रिया ढंग से काम करे लेकिन उभयचर और सरीसृप में ऐसा नहीं होता इसलिए ये अधिक गर्मी और अधिक सर्दी को सहन नहीं कर पाते।
वह ग्रीष्म व शीत शुप्तकालिता दर्शाते हैं जिसमे वे धरती में बने बिल या दीवारों की दरारों में जाकर अपनी उपापचय क्रियाये बहुत कम कर देते है
जिससे उनकी एनर्जी ज्यादा खर्च नहीं होती ताकि भोजन की आवश्यकता ना पड़े वह ज्यादा समय तक यह प्रतिकूल परिस्थितियों में सरवाइव कर सके जैसे ही अनुकूल परिस्थितियां आती है।
वे दोबारा सामन्य अवस्था में आ जाती है और इस प्रकार यह महीनो में शीट निष्क्रियता में व्यतीत करती है छिपकली वर्ष के ठंड के समय के दौरान हाइबरनेट करती है, अपने घरों को पेड़ की चड्डी में, चट्टानों के नीचे, या जहां भी आश्रय पाती है
बनाती है। छिपकली ठंडे खून वाली, या एक्टोथर्मिक होती हैं, जिसका अर्थ है कि उनके पास आंतरिक हीटिंग क्षमता नहीं है, इसलिए उन्हें बाहरी स्रोतों से गर्मी पर भरोसा करना चाहिए।