यश और बल की होगी प्राप्ति, इस खास मंत्र से करें माता की पूजा

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Jyotish :-तेजस्वी की हैं देवी

मां कुष्मांडा को शक्ति का चौथा स्वरूप मानते हैं। इन्हें सूर्य के समान तेजस्वी बताया गया है। अगर हम मां के स्वरूप की व्याख्या करें तो उनकी आठ भुजाएं हमें तेज अर्पित करने की प्रेरणा देती हैं। मान्यता है कि देवी कुष्मांडा के पूजन से आपके अन्दर कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी काम करने की क्षमता बनी रहती हैं। आप अपने निर्णय खद ले पाते हैं और मां की कृपा से आपको समाज में तेज और यश की प्राप्ति होती है।

मां कुष्माडा की पौराणिक कथा

देवी भाग्वत पुराण में माता को आदिशक्ति बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार जब दुनिया का अस्तित्व नहीं था तब मां कुष्मांडा ने ब्रह्माण की रचना की थी। यही कारण है कि उन्हें आदिशक्ति कहा जाता है। माना जाता है इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।

इस जाप से होंगी मां खुश

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा का ध्यान इस मंत्र से कर सकते हैं।

अतीत में देवताओं द्वारा उसके वांछित आश्रय के लिए उसकी प्रशंसा की गई थी और देवताओं के स्वामी द्वारा कई दिनों तक उसकी सेवा की गई थी

वह देवी जो हमारे मंगल का कारण है, हमें मंगलमय आशीर्वाद प्रदान करें और उसके चरण हमारी विपत्तियों को हरें

माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति होती है।

मालपुआ का लगता है भोग

नवरात्र के चौथे दिन मां को मालपुआ का भोग लगाया जाता है। इस दिन नारंगी वस्त्र पहनकर श्रद्धालु देवी कुष्मांडा की आराधना करते हैं और रोगों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

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