5 शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा श्रावण का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपको बता दें कि सावन का आखिरी प्रदोष व्रत 28 अगस्त को है. साथ ही इस दिन सोमवार है. इसीलिए इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। साथ ही इस दिन 5 शुभ योग भी बन रहे हैं. जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त को शाम 06:47 बजे शुरू होगी और 29 अगस्त, मंगलवार को दोपहर 02:46 बजे तक रहेगी. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इसलिए प्रदोष व्रत 28 अगस्त को ही रखा जाएगा और शुभ समय शाम 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा।

ये शुभ योग बन रहा है

पंचांग के अनुसार श्रावण के अंतिम प्रदोष व्रत के दिन सुबह आयुष्मान योग प्रारंभ होगा जो सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा. इसके बाद सौभाग्य योग सुबह 10 बजे से शुरू होकर रात तक रहेगा और इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग आधी रात 2.44 बजे से शुरू होकर 29 अगस्त की सुबह 5.56 बजे तक रहेगा। उस दिन सोमवार भी है, जिसके कारण प्रदोष व्रत पर 5 शुभ योग बन रहे हैं।

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। वहां आप सुबह फल खा सकते हैं. इसके अलावा शाम के समय शिव मंदिर जाएं और भगवान शिव का दूध, दही, गंगा जल, शहद, गाय का घी और गन्ने के रस से अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, चंदन, फूल, माला, अक्षत, धूप आदि से भगवान भोलेनाथ की पूजा करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को धतूरा और भांग चढ़ाएं और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

प्रदोष व्रत का महत्व

सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हैं उन्हें दूध और शहद से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए तो जल्द ही विवाह के योग बनते हैं। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन महादेव का पंचगव्य से अभिषेक करना चाहिए।

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