मुंडन संस्कार कब किया जाता है? बाल झड़ने से बच्चा जन्मपूर्व शाप से मुक्त हो जाता है

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शास्त्रों में कुल 16 विधियां वर्णित हैं। इनमें से एक मुख्य है जब बच्चा पैदा होता है। यह आठवां संस्कार है. इसे चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार मुंडन संस्कार कराने से बच्चे का मानसिक विकास होता है। दरअसल, गर्भ में शिशु के ऊपर गिरे बालों को अशुद्ध माना जाता है और मुंडन संस्कार से शिशु के बाल शुद्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही मुंडन संस्कार कराने से संतान दीर्घायु होती है। आइए जानते हैं कब करें मुंडन संस्कार और इसका महत्व…

जन्म के कितने समय बाद शेविंग करानी चाहिए?
बच्चे के जन्म के एक वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में मुंडन कराना चाहिए। वहीं, वैदिक पंचांगों में मुंडन संस्कार के लिए विशेष मुहूर्त का उल्लेख है। जिसमें मुख्य रूप से नक्षत्र और तिथि को देखा जाता है। जैसे द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथियां मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती हैं।

इसके साथ ही अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाति, ज्येष्ठा, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में चूड़ाकर्म संस्कार करना बेहतर होता है। मुंडन संस्कार केवल इन्हीं तिथियों और नक्षत्रों में ही करना चाहिए। कुछ लोग बिना शुभ मुहूर्त देखे ही अपने बच्चे का मुंडन करा देते हैं जो कि गलत है। ऐसा करने से बच्चे का मानसिक विकास रुक सकता है।

जानिए मुंडन संस्कार का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, भ्रूण के बाल उतारने से बच्चा पूर्वजन्म के श्राप से मुक्त हो जाता है। आपको यह भी बता दें कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें कई कीटाणु और बैक्टीरिया होते हैं और शेविंग करने से सिर से कीटाणु और बैक्टीरिया दूर हो जाते हैं। साथ ही शेविंग करने के बाद सिर से सूरज की रोशनी सीधे शरीर में जाती है, जिससे विटामिन डी भी मिलता है। जिससे बच्चे का विकास ठीक प्रकार से होता है। वहीं शिशु के बल, तेज और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मुंडन संस्कार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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