इन 7 स्थितियों में बिना एक्सपर्ट के योग करने से बचें, कुछ योगासन हो सकते हैं बेहद हानिकारक

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योग के कई फायदे हैं। जो लोग लंबे समय तक योगाभ्यास करते हैं उनका इम्यून सिस्टम दूसरों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है। इसके अलावा यह विशेष रूप से आपके फेफड़े, लिवर और पेट जैसे अंगों के लिए काम कर सकता है। साथ ही यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें कब्ज और बवासीर जैसी चयापचय संबंधी बीमारियां हैं। इतना ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए भी योग के कई फायदे हैं। इन सभी फायदों के बारे में हम पहले से ही जानते हैं, लेकिन आज हम उन स्थितियों के बारे में भी जानेंगे जब हमें बिना विशेषज्ञ के योग करने से बचना चाहिए। साथ ही कुछ योगासन ज्यादा हानिकारक भी हो सकते हैं।

योगाभ्यास

गर्भावस्था के दौरान कड़े आसनों का अभ्यास नहीं करना चाहिए। गर्भावस्‍था के दौरान कोर को मजबूत करने वाले सरल आसन, पीठ के बल लेटने की स्थिति, पेट को दबाने वाली मुद्रा या अत्‍यधिक मरोड़ने वाले आसन से बचना चाहिए। इस बीच, प्रत्येक तिमाही के लिए विभिन्न प्रकार के आसनों का अभ्यास करने के लिए डॉक्टर और योग विशेषज्ञ के साथ बैठें।

पेप्टिक अल्सर या हर्निया से पीड़ित लोगों को धीमी गति से योग करना चाहिए। एब्डोमिनल थ्रस्ट और ट्विस्टिंग पोज़ के अभ्यास से बचें। क्योंकि ये दोनों ही चिकित्सीय स्थितियां हैं और जरा सी गड़बड़ी आपको अस्पताल पहुंचा सकती है।

कंधे की चोट या दर्द के मामले में गोमुखासन या डाउनवर्ड डॉग जैसे कंधे खोलने वाले आसनों से बचें। इसकी जगह आप रोटेटर कफ जैसे योगासन कर सकते हैं। लेकिन, इस स्थिति में भी आपको संतुलन का ध्यान रखना होगा और इसके लिए आपको किसी विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए।

साइटिका नसों से जुड़ी समस्या है। यह पिरिफोर्मिस पेशी में अकड़न के कारण होता है। ऐसे में कुछ योगासन इसके विपरीत काम कर सकते हैं यानी आपके दर्द को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आगे की ओर झुकने या अत्यधिक बैकबेंड का अभ्यास न करें। पश्चिमोत्तानासन, हस्तपादासन या कुर्मासन जैसे आसनों से बचें।

शरीर के किसी भी जोड़ में तीव्र दर्द होने पर, उन आसनों से बचें जो उस जोड़ को आक्रामक रूप से तनाव या खिंचाव दे सकते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह से ही योग करना शुरू करें, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है। हां, लेकिन आप कुछ हल्के आसन आजमा सकते हैं।

कमर के निचले हिस्से में दर्द कभी-कभी गंभीर भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में कुछ योग करने से बचें। खासतौर पर वे जहां आपको आगे और पीछे की तरफ झुकना होता है और पीठ के निचले हिस्से पर दबाव डालना होता है। ऐसे में चक्रासन, उष्ट्रासन, पश्चिमोत्तानासन जैसे आसनों के साथ-साथ उन आसनों से भी परहेज करें जिनमें रीढ़ की हड्डी में अत्यधिक गतिशीलता की आवश्यकता होती है।

अगर किसी व्यक्ति की सर्जरी हुई है या कोई दुर्घटना हुई है, तो उसे कम से कम तीन महीने तक योग करने से बचना चाहिए। इसमें योगाभ्यास शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लें ताकि आप समझ सकें कि आपको कौन सा योग करना चाहिए और कौन से योगासन करने से बचना चाहिए।

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