सेबी इस बात से हैरान रह गया कि अडानी की कंपनियों में इतना पैसा कहां से आता है?

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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पाया है कि सितंबर 2022 तिमाही से अडानी समूह की छह सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की संख्या में वृद्धि हुई है। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.

इन शेयरों में एफपीआई बढ़ने की चर्चा है।
अडानी समूह की छह कंपनियों अडानी एंटरप्राइजेज (अडानी एंटरप्राइजेज), अडानी टोटल गैस , अडानी ग्रीन, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर के विदेशी शेयरहोल्डिंग पैटर्न के विश्लेषण में यह देखा गया है. पता चला है कि सितंबर तिमाही के बाद इन शेयरों में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों की संख्या में उछाल आया है।

जानिए किन कंपनियों के FPI में आया उछाल
सेबी ने पाया है कि अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज में निवेश करने वाले एपीपीआई की संख्या सितंबर 2020 में 133 से बढ़कर मार्च 2023 में 410 हो गई है। अदानी टोटल गैस में विदेशी निवेशकों की संख्या 63 से बढ़कर 532 हो गई है। अदानी ट्रांसमिशन में एफपीआई की संख्या 62 से बढ़कर 431 और अदानी ग्रीन में 94 से बढ़कर 581 हो गई।

एसीसी, अंबुजा सीमेंट्स और एनडीटीवी की होल्डिंग पर विचार नहीं किया गया क्योंकि इन कंपनियों को बाद में समूह द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था। वहीं, अडानी विल्मर की लिस्टिंग फरवरी 2022 में हुई थी।

सेबी आरोपों की जांच कर रहा है
पूंजी बाजार नियामक अडानी समूह की कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी और न्यूनतम शेयरधारिता मानदंडों के कथित उल्लंघन की जांच कर रहा है। इस साल जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने इस विषय पर प्रकाश डाला। इसके बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में ब्रेक लगा।

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