कोर्ट पहुंचा ‘नोट बदलने’ का मामला, 2000 के नोट वापस करने के फैसले के खिलाफ याचिका
23 मई से दो हजार रुपए के नोटों की अदला-बदली शुरू हो गई है। लोग बैंकों में जाकर 2000 रुपए के नोट बदल रहे हैं। इसी बीच आरबीआई के दो हजार रु रिप्लेसमेंट सर्कुलेशन के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जिसमें आरबीआई की ओर से 19 मई को जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है।
इस जनहित याचिका में बैंकों ने नोट बदलने के लिए आने वाले लोगों को मुआवजे के तौर पर 500 रुपये और देने की भी मांग की है. याचिका अधिवक्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दायर की है।
याचिकाकर्ता रजनीश गुप्ता ने याचिका में कई दलीलें पेश की हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत किसी भी मूल्यवर्ग को विमुद्रीकृत करने का कोई स्वतंत्र अधिकार नहीं है। आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24(2) के तहत, यह शक्ति केवल केंद्र सरकार के पास है।
बड़े पैमाने पर जनता की अपेक्षित समस्याओं का विश्लेषण किए बिना 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का इतना बड़ा मनमाना निर्णय लेने के लिए आरबीआई ने स्वच्छ शुद्ध नीति के अलावा कोई तर्क नहीं दिया है। क्लीन नेट पॉलिसी में सिर्फ डैमेज, नकली या खराब नोट लौटाए जाते हैं, अच्छे नोट नहीं। इस याचिका में आगे कहा गया है कि देश के लोग बिना किसी गलती के अपने 2000 रुपये के नोट बदलने के लिए बैंक जाने को मजबूर हैं. इस याचिका में मांग की गई है कि जो लोग अपना काम छोड़कर नोट बदलने के लिए बैंकों में घंटों लाइन में लगते हैं, उन्हें मुआवजे के तौर पर 500 रुपये और दिए जाएं.