सरकारी स्कूलों में बदली पोशाक इस साल अनिवार्य नहीं, भाजपा ने बदलाव के निर्णय को बताया तुगलकी फरमान
बीकानेर, 9 दिसम्बर राजस्थान की सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए ड्रेस (पोशाक) का रंग बदल दिया गया है। हालांकि पोशाक पहनने की अनिवार्यता पर जोर भी नहीं दिया जाएगा। अगले शैक्षणिक सत्र 2022-23 से पोशाक पहनने की अनिवार्यता जरुर होगी। इधर सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के यूनिफॉर्म का रंग बदलने के प्रदेश सरकार के निर्णय को भाजपा ने तुगलकी फरमान करार देते हुए इसे सरकार की मानसिक दिवालियापन का संकेत बताया है।
स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय एवं पंचायती राज (प्रारम्भिक शिक्षा) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार गोयल ने बुधवार रात आदेश जारी करते हुए छात्रों के लिए हल्के नीले रंग की कमीज तथा गहरे भूरे या डार्क ग्रे रंग की नेकर या पेंट, छात्राओं के लिए हल्के नीले रंग का कुर्ता/शर्ट तथा गहरे भूरे या डार्क ग्रे रंग की सलवार/स्कर्ट एवं गहरे भूरे या डार्क ग्रे रंग का दुपट्टा (चुन्नी) लागू करने के आदेश दिए हैं। वहीं शीतकाल के समय निर्धारित शाला पोशाक (गणवेश) के साथ गहरे भूरे या डार्क ग्रे रंग का कोट (ब्लैजर) या स्वेटर पहनना होगा। गोयल के आदेशानुसार सभी विद्यार्थियों को गुरुवार को शाला पोशाक पहनने में छूट रहेगी।
इधर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने यूनिफॉर्म का रंग बदलने के प्रदेश सरकार के निर्णय को तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि गहलोत सरकार के इस निर्णय से 98 लाख अभिभावकों पर आर्थिक भार पड़ेगा. देवनानी ने प्रदेश सरकार और नए शिक्षा मंत्री से इस मामले में पुनर्विचार करने की मांग भी की है। गुरुवार को वासुदेव देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा पिछली भाजपा सरकार ने 20 साल बाद परिजनों और विद्यार्थियों के आग्रह पर ही सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की पोशाक बदली थी लेकिन ‘कांग्रेस सरकार ने महज 4 साल में ही यूनिफॉर्म का रंग बदल दिया। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के मानसिक दिवालियापन का संकेत है। देवनानी ने यह भी कहा कि कोरोना कालखंड में पहले से ही आमजन आर्थिक रूप से परेशान है, ऐसे में सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय से 98 लाख अभिभावकों पर नई यूनिफॉर्म का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा जो किसी भी दृष्टि से सही नहीं माना जा सकता। ऐसे में सरकार को इस मामले में पुनर्विचार करना चाहिए।