इस वनस्पति के ये चमत्कारी गुण जुंकर हैरान हो जाओगे
ये आयुर्वेदीक वनस्पती हिमालय, बद्रीनारायण, हरिद्वार इन पाहडो पर पाई जाती है. इस का नाम ब्राह्मी है ब्राह्मी स्वाद में फिकी, शितल ठंडी होती है. ब्राह्मी के सेवन से सफेद दाग, पित, सुजन, खासी, पिलिया, खून, बुखार, उम्र का बढना, हृदय, यादाश ठीक करना आदि रोगो में इसका उपयोग किया जाता है.
अगर आप की स्मरण शक्ती कमजोर है. अगर आप स्मरण शक्ती बढाना चाहते है तो 5 ग्राम ब्राह्मी, 5 बादाम, 5 ग्राम शंखपुष्पी, 5 इलायची इन सभी को एक साथ पीस कर इसका चूर्ण मिश्री में मिलाकर हर रोज एक चमच खाने से खासी, बुखार, पागलपण इन में लाभ मिलता है.
15 से 25 मि.ली लीटर ब्राह्मी के जड का रस निकाल कर अदे लीटर दुध में मिलाकर सेवन करने से मिर्गी नाम का रोग कम होता है. तथा ब्राह्मी के रस में एक चमच शहद मिलाकर पिणे से खसरा बिमारी ठीक होती है. अगर कोई बाते करते समय हकलता है या तोतली बाते करता है एैसे मरीज को ब्राह्मी को घी और मिश्री के साथ खाने से हकलाणा बंद हो जाता है.
बहुत सारे लोगो को नीद में चलणे की आदत होती है या तो बच्चो को नींद में पेशाब करणे की आदत होती है. एैसे मरीजो को ब्राह्मी और शंकपुष्पी बराबर लेकर इन दोनो को छाव में सुखाये फिर सुबह 8 घंटे धूप में रखे फिर इन दोनो का चूर्ण बनाकर सुबह और शाम एक चमच चूर्ण में एक चमच घी और एक चमच शहद मिलाकर खाने से नींद में चलणे वाला रोगी और पेशाब करणे वाला बच्चा ठीक होता है और ये बुरी आदतों से अच्छे बनते है.
आंखो के बिमारी से जैसे मोतीयाबिंदू, आंख से पानी बहना, आंखे लाल होणा, आंखो में जलन होणा इन सभी समस्या से मुक्ति पाने के लिये 5 ग्राम ब्राह्मी के पत्तो को घी में भूनकर सेधा नमक के साथ 5 दिन एक एक चमच खाने से आंखो की समस्या दूर होती है और कमजोर आंखे ठीक होने लगती है.