कुंदरू खाने से मिलते हैं हमारे शरीर को ये 5 जरूरी पोषण, 5 वां सुनकर रह जायेंगे दंग
कुदरू बहुत आसानी से मिल जाने वाली सब्जी है। गर्मियों के मौसम में यह काफी मात्रा में मिलती है। आज मैं आपको कुंदरू खाने के लाभ बताएँगे। आइये जानते हैं कुंदरू से होने वाले फायदों के बारे में।
1.तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है
कुंदरू में उपस्थित पोषक तत्व, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट हमारे तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करने में सहायक होते हैं। कुंदरु में प्राप्त ऐसा ही एक विटामिन बी 2 जो पानी में घुलने योग्य विटामिन है और हमारे शरीर को रोज़ाना इसकी एक नियमित अंश की जरूरत होती है, क्योंकि इसे शरीर में संग्रहित करके नहीं रखा जा सकता है।
2.थकान दूर करे कुंदरू
का उपयोगहमारे शरीर में थकान का मुख्य कारण लोहे की कमी होता है। यह लोहा(आयरन) अशाकाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के भोज्य पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में होने वाली दीर्घकालीन थकान की समस्या को दूर करने के लिए आयरन(लोहे) की उचित मात्रा से युक्त भोजन को हमें अपने आहार चार्ट(डाइट प्लान) में अवश्य शामिल करना चाहिए। आयरन की पर्याप्त मात्रा उपस्थित होने के कारण कुंदरू का सेवन थकान को दूर रखने में सहायक होता है।
3.कुंदरू का प्रयोग चयापचय को स्वस्थ बनाता है
हमारे शरीर में रक्त और प्लाज्मा के द्वारा ऊर्जा को उत्पन्न और परिवर्तित करने की प्रक्रिया में कोशिकाओं द्वारा थायमिन का प्रयोग किया जाता है, यह थायमिन हमें कुंदरु से प्राप्त होता है। विटामिन बी 1 की 0.07 मिलीग्राम मात्रा हमें इस थायमिन से प्राप्त होती है जो हमारे रोजाना की आवश्यकता का 15.83% होता है, इसके अलावा यह थाइमिन, कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में रूपांतरित करने में सहायक होता है, जो की ऊर्जा का एक उच्च व समृद्धि स्त्रोत है और यह शरीर को स्वस्थ चयापचय बनाए रखने में काफी उपयोगी होता है। यह शरीर में वसा और प्रोटीन के विखंडन(टूटने) में भी सहायक होता है।
4.मोटापा घटाने में कुंदरु गुणकारी है
कुंदरू का पौधा मोटापे के कारण या वजन वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाले चयापचय रोगों में सुधार के लिए उचित हो सकता है क्योंकि इसके पौधे में संभवतःएंटी-एडिपोजेनिक घटक की उपस्थिति होती है। बंक्रोंगचेप एट अल के अनुसार एक शोध में यह परिणाम प्राप्त हुआ है कि कुंदरु या कुंदूरी की जड़ में यह विशेषता होती है कि यह मोटापे को कम करने में मदद करता है।
5.कुंदरु रोकता है किडनी स्टोन को
कुंदरू से पाए जाने वाले कम कैल्शियम की मात्रा से गुर्दे की पथरी नहीं होती है, इसलिए कैल्शियम के स्रोत के रूप में इसका प्रयोग बिना किसी आशंका के किया जा सकता है। यह गुर्दे की पथरी असल में पानी में उपस्थित कैल्शियम के कारण तथा पालक व इसके जैसी अन्य पत्तेदार सब्जियों की ऊंची ऑक्सलेट खपत दर और कम तरल पदार्थ के उपभोग के कारण गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। किडनी स्टोन असल में कैल्शियम की एक क्रिस्टेटेड(कण बनना) अवस्था है।
उसी तरह से गुर्दे की पथरी का एक विशेष रूप ऑक्सलेट स्टोन है। वर्तमान में आधुनिक शोध के द्वारा यह ज्ञात होता है कि उच्च आहार कैल्शियम के प्रयोग से गुर्दे की संभावना में काफी कमी आती है, जबकि कुछ समय पूर्व यह माना जाता था कि उच्च कैल्शियम अवशोषण या ज्यादा कैल्शियम के सेवन की वजह से गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है।