माता लक्ष्मी क्यों दबाती हैं भगवान विष्णु के पैर? 99 प्रतिशत लोगो को ये बात नहीं पता होगी
आज हम बता रहे हैं कि माता लक्ष्मी और जगत गुरु विष्णु भगवान के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आप नही जानते हैं। अक्सर आपने चित्रों देखा होगा कि माँ लक्ष्मी को हमेशा भगवान नारायण के पैर दबाते हुए दिखाया जाता हैं। लेकिन शायद अपने इसके मुख्य कारण के बारे में कभी सोचा भी नही होगा क्योंकि आपको यह लगता होगा कि नारायण और लक्ष्मी मनुष्यों को यह दिखाना चाहते हैं कि औरत की जगह पतियों के पैरों में ही होती हैं चाहे वह स्वयं लक्ष्मी ही क्यों न हो।
परंतु वास्तव में ऐसा नही हैं माँ लक्ष्मी विष्णु जी के पैर लिए दबाती हैं क्योंको शास्त्रों के अनुसार महिलाओं के हाथ में देवगुरु बृहस्पति वास करते हैं और पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास होता हैं। इसलिए जब कोई भी महिला अपने पति के पैरों को दबाती हैं तो देव और दानवों के मिलन से धनलाभ होता है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार
अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। वह बिल्कुल भी आकर्षक नहीं हैं, उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत हैं। यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती थीं।
अपनी बहन का ये बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती। इस पर अलक्ष्मी ने कहा कि कोई मेरी आराधना नहीं करता, मेरा पति भी नहीं है, इसलिए तुम जहां जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।
इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट न आ सकें। इस तरह वे पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।