काम ढूंढने के लिए क्या-क्या नहीं किया इस सिंगर ने, फिर हुआ कुछ ऐसा कि बदल गई किस्मत
बॉलीवुड के कुछ ऐसे गाने आपने कभी ना कभी गुनगुनाए जरूर होंगे, ‘हम हैं इस पल यहां’ ‘माही वे’ ‘कभी नीम नीम कभी शहद शहद’ ‘सोजा ज़ारा’ ये गाने न सिर्फ आपने सुने होंगे बल्कि गुनगुनाए भी होंगे. इन खूबसूरत गानों के पीछे यह सुंदर सी आवाज है मधुश्री की, लेकिन आपको बता दें कि मधुश्री को रातोरात सफलता नहीं मिली, उन्हें यहां तक आने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ी और काफी कष्ट सहने पड़े.
काफी सालों पहले 1999 में उनका एक एल्बम आया था, इस एल्बम के बाद वे 2 सालों तक कई संगीतकारों के पास काम मांगने गई लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली. फिर वहीं 2001 में जावेद अख्तर ने उनकी आवाज सुनकर उन्हें राजेश रोशन से मिलने का मौका दिया जहाँ उन्हें पहला ब्रेक मिला.
मधुश्री की किस्मत पलटी उनके दिए हुए नए नाम की वजह से, ऐसा खुद मधुश्री बताती हैं. उन्होंने बताया कि जब भी बॉलीवुड में कोई काम नहीं होता तो सारे लोग हम लोगों को नाम चेंज करने की एडवाइज देते हैं. मैंने भी दूसरों की बात सुनकरअपना नाम बदल दिया. मेरा असली नाम सुजाता भट्टाचार्य था, जिसे बदलकर मैंने मधुश्री कर लिया, उसके बाद मुझे लगा कि मेरी किस्मत बदल जाएगी. सुरवात में मैं ये नए नाम लेकर ए आर रहमान के पास भी गई थी, जिसमें से उन्होंने मधुश्री को पसंद किया.
उस दौरान जब मैंने नाम चेंज किया तो मेरे पास ‘कल हो ना हो’ ‘कुछ न कहो’, ‘ऐतबार’ जैसी फिल्मों के गाना गाने का मौका मिला, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं या मेरी मेहनत का नतीजा. लोग मेरे गानों को काफी पसंद करते हैं तो मेरी जिंदगी की मेहनत सफल हो गई.