यह प्राणायाम गर्मियों में रखेगा तन और मन को शांत
हम आपको एक ऐसे प्राणायाम के बारे में बताने जा रहे है जो इन गर्मियों में आपके तन और मन को शांत रखता है, शीतलता प्रदान करता है और गर्मी के कुप्रभावों से बचाता है। इस प्राणायाम का नाम है शीतकारी प्राणायाम (Sheetkari Pranayama)। तो चलिए आपको इस शीतकारी प्राणायाम (Sheetkari Pranayama) की विधि, लाभ और सावधानियां बताते हैं।
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शीत का मतलब होता है ठंडकपन और ‘कारी’ का अर्थ है जो उत्पन्न हो। इस प्राणायाम के अभ्यास से शीतलता भी उत्पन्न होती है इसलिए इसे ‘शीतकारी कहा गया है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए और शर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करना चाहिए। हठप्रदीपिका ग्रंथ में इसका निम्न प्रकार से वर्णन किआ गया है।
सीत्कां कुर्यात्तथा वक्त्रेघ्राणेनैव विजृम्भिकाम्। एवमभ्यासयोगेन कामदेवो द्वितीयकः।।
अर्थात मुंह से श्वास लीजिए, सिसकी की ध्वनि उत्पन्न कीजिए और बिना मुंह खोले नाक से श्वास छोड़िए। इसके अभ्यास से कोई भी व्यक्ति दूसरा कामदेव बन सकता है।
शीतकारी प्राणायाम की विधि:
सर्वप्रथम अपने शरीर को आराम की मुद्रा में लाकर अपने सर, गले और स्पाइन को एक सही स्थिति में रखकर आराम से बैठ जायें और अपनी जीह्वा को सीधा मोड़ कर मुंह के अन्दर ले जायें।
अन्दर की ओर गहराई से सांस लें। सांसों के ठंडे होने का एहसास पेट के केन्द्र में होना चाहिए।फिर धीरे धीरे अपनी जीभ को पुरानी स्थिति में लाकर सांस को नाक से बाहर की ओर छोड़ें।
2 से 3 मिनट तक सीतली करने के बाद फिर से डायफा्रमेटिक ब्रीथिंग को कुछ मिनट के लिए शुरू करें। धीरे धीरे आप कम से कम 10 मिनट तक व्यायाम कर इसे अपनी आदत बना सकते हैं
शीतकारी प्राणायाम (Sheetkari Pranayama) के लाभ :
तनाव कम करने में: यह प्राणायाम तन और मन को शांति देता है जिससे तनाव को बहुत हद तक कम किया जा सकता हैं।
चिंता को दूर भागने में: यह प्राणायाम चिंता को कम करने में बहुत अहम रोल निभाता है।
डिप्रेशन के लिए रामबाण है: डिप्रेशन के मारीज को इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करनी चाहिए। यह डिप्रेशन का रामबाण का इलाज है।
रक्तचाप कम करता है : इस प्राणायाम से ठंडकपन का अहसास होता है। यह शरीर में शीतलता लाती है और रक्तचाप कम करता है।
पित्त दोष: पित्त दोष (गर्मी) के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में फायदेमंद होता है।
सावधानियां:
सर्दी में इस प्राणायाम को न करें।
खांसी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।