मच्छर के काटने से सिर्फ डेंगू, मलेरिया ही नहीं बल्कि खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं

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बरसात के मौसम में मच्छरों का काटना आम बात है। इससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मच्छर इसके काटने से सिर्फ यही नहीं बल्कि एक और गंभीर बीमारी भी हो सकती है। जिसे लिम्फैटिक फाइलेरियासिस या एलिफेंटियासिस या फाइलेरियासिस कहा जाता है।

यह रोग बहुत कष्टकारी होता है। इसमें रोगी के अंगों में सूजन आ जाती है और वह अत्यधिक मोटा हो जाता है। यही कारण है कि आम बोलचाल की भाषा में इसे हाथीपाँव रोग भी कहा जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए और यह लंबे समय तक बना रहे तो इससे विकलांगता का खतरा हो सकता है।

फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैर हाथी के पांव की तरह फूलकर सूज जाते हैं। इस रोग में अंडकोष में सूजन भी आ जाती है। विकलांगता का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है।

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमारे देश में हाथियों की बीमारी का खतरा बहुत ज्यादा है। दुनिया के कुल मामलों में से 40 फीसदी मामले अकेले भारत में पाए जाते हैं. आज के समय की बात करें तो देश में करीब 74 करोड़ लोगों को इस बीमारी का खतरा है।

डॉक्टर के मुताबिक, अगर हाथी पांव के संक्रमण की पहचान पहली स्टेज में हो जाए तो इसका इलाज और रोकथाम की जा सकती है। लक्षणों को जल्दी पहचानने से चक्र टूट जाता है, जिससे परजीवी मच्छर आगे नहीं फैलता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बीमारी की रोकथाम के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) जैसे कई चिकित्सा उपचारों पर काम किया जा रहा है। इसलिए दवा का वितरण किया जा रहा है. ये दवाएं गर्भवती महिलाओं और दो साल से कम उम्र के बच्चों सहित सभी को दी जाती हैं।

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