वास्तु टिप्स: घर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में हो तो पूजाघर किस दिशा में बनाना चाहिए?

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वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा में घर-दुकान को सबसे शुभ माना जाता है। वहीं दक्षिण दिशा में घर अशुभ माना जाता है। ऐसे में अधिकतर घरों में पूजा घर जरूर होता है. यह घर का वह स्थान है जहां से सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए पूजा घर का सही स्थान पर होना बहुत जरूरी है, क्योंकि कई बार अगर पूजा घर सही दिशा में न हो तो उसका पूरा फल नहीं मिल पाता है। ऐसे में जब घर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में होता है तो बहुत उलझन होती है कि पूजा घर कहां बनाया जाए? आइए जानते हैं कि दक्षिण दिशा में किस स्थान पर पूजा घर बनाना चाहिए।

वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में घर अशुभ दिशा मानी जाती है। यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर है तो इसे दक्षिणमुखी कहा जाता है। इस दिशा में मुख्य द्वार होने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसे में व्यक्ति को कई परेशानियों के साथ-साथ भारी नुकसान का भी सामना करना पड़ता है।

घर में दक्षिण दिशा में कहां बनाएं पूजा कक्ष?

घर में दक्षिण दिशा में पूजा कक्ष बनाने में बहुत दिक्कत आती है, क्योंकि इस दिशा पर मृत्यु के देवता यम का शासन है। ऐसे में आप उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा घर बना सकते हैं। इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह दक्षिण दिशा में सुनिश्चित करने के लिए पूजा घर की छत त्रिकोण के आकार की होनी चाहिए।

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