रामायण का रोचक तथ्य: भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से क्यों तोड़ा था राम सेतु?
बाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में बताया गया है कि कैसे भगवान श्री राम ने रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की और बानर सेना के साथ मिलकर एक पुल का निर्माण किया। लेकिन इस विजय के लिए बनाए गए राम पुल के बारे में आज भी कई कहानियां प्रचलित हैं। राजा ने एल. और फिर अयोध्या वापस आये और अयोध्या के राजा बने
एक बार प्रभु श्रीराम को विभीषण की बातें अच्छी तरह याद थीं l फिर उन्होंने भरत से बात की l फिर भरत के साथ वे पुष्पक विमान में बैठे और श्रीराम लंका के लिए प्रस्थान कर गए l कुछ दिनों के बाद उन्होंने अयोध्या की सारी जिम्मेदारियाँ लक्ष्मण को सौंप दीं l लंका जाते समय श्रीराम और भरत भी किष्किंधा गए। किष्किंधा में उनकी मुलाकात सुग्रीव और अन्य वानरों से हुई। जब सुग्रीव को पता चला कि भगवान श्रीराम विभीषण से मिलने जा रहे हैं, तो वह भी उनके साथ जाना चाहते थे। रास्ते में भगवान श्रीराम ने भरत को वह खंभा दिखाया जो रामसेतु था।
जब लंकापति विभीषण को पता चला कि भगवान श्रीराम उनसे मिलने आ रहे हैं, तो उन्होंने पूरी लंका नगरी को सजाया। विभीषण ने भी भगवान का स्वागत किया। लंका पहुंचने के बाद भगवान श्रीराम कुछ दिनों तक वहां रुके और उनके आगमन पर विभीषण को निर्देश दिया गया। राजा का राजकाज ठीक से चलाओ। जब श्रीराम जाने लगे तो विभीषण ने उनसे विनती करते हुए पूछा, हे प्रभु, यदि मनुष्य यहां आकर मुझे इस पुल से परेशान करें तो मुझे क्या करना चाहिए? अपने भक्त की चिंता का कारण जानकर भगवान श्रीराम ने अपने बाण से सेतु के दो टुकड़े कर दिये।