न हो ठगी का शिकार, प्रॉपर्टी का एग्रीमेंट करते समय रखें इन बातों का ख्याल
प्रॉपर्टी का एग्रीमेंट: मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में पटिया वाला मोहल्ला गिरवाई निवासी सुरेश पुत्र लाल सिंह राजावत ठेकेदार है। वर्ष 2016 में उनकी मुलाकात राजबहादुर भदौरिया से हुई। मुलाकात के बाद उनके बीच बातचीत होने लगी और इसके बाद राजबहादुर ने उन्हें कवि नगर महाराजपुरा में एक दुकान खरीदने के लिए कहा।
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उनकी बातों में आकर वे भी दुकान लेने के लिए तैयार हो गए और दुकान का सौदा 17 लाख में तय कर 15 लाख रुपए एडवांस राशि देकर दुकान का एग्रीमेंट किया। शेष दो लाख रुपए रजिस्ट्री कराते समय देना तय हुआ था। इसके बाद वह चक्कर काटते रहे, लेकिन वह रजिस्ट्री के लिए टहलाते रहे।
जब कई माह बाद भी राज बहादुर रजिस्ट्री के लिए तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने दुकान की पड़ताल की तो पता चला कि दुकान तो बैंक में बंधक रखी हुई है। साथ ही पता चला कि उसकी तरह ही कई लोगों को भी राजबहादुर ने चूना लगाया है। इसका पता चलते ही उनके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। ठगी का पता चलते ही वह राजबहादुर के घर गया तो आरोपी ने पैसे मांगने पर उसे जान से मारने की धमकी दी। धमकी और ठगी का शिकार पीडि़त थाने पहुंचा और मामले की शिकायत की। पुलिस ने पीडि़त की शिकायत पर ठगी का मामला दर्ज कर लिया है।
मामला तो दर्ज हो गया। केस चलेगा और कुछ सालों बाद हो सकता है धारा 420 के तहत राजबहादुर भदौरिया को सजा भी हो पाए परंतु सुरेश सिंह राजावत के 15 लाख रुपए तो चले ही गए। आईपीसी में ऐसी कोई धारा नहीं है जो सुरेश सिंह राजावत को उसके 15 लाख रुपए दिला दे। इसलिए एग्रीमेंट के समय प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 10 प्रतिशत से ज्यादा एडवांस नहीं देना चाहिए। वेसे प्रॉपर्टी हेतु एडवांस के लिए 51 हजार रुपए शुभ माने जाते हैं।
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